लोकतंत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि भारत पुनः बैलट पेपर (भौतिक मतपत्र) के द्वारा मतदान करने की ओर पावसी करे। बैलट पेपर को पिछड़ेपन की निशानी के रूप में नहीं है बल्कि विकसित व समृद्ध होते भारत का प्रतीक है। – रुसेन कुमार
लोकसभा चुनाव 2024 के आगमन के साथ, बैलट पेपर को फिर से अपनाने की बहस तेज हो गई है। इस लेख में, मैं पाँच मुख्य कारणों की चर्चा कर रहा हूँ जो बैलट पेपर की पुनर्वापसी का समर्थन करते हैं। इनमें शामिल हैं: बढ़ी हुई पारदर्शिता और विश्वसनीयता, तकनीकी खराबियों और हैकिंग की संभावनाओं का खात्मा, सभी वर्गों के मतदाताओं के लिए सहजता और सुलभता, आपातकालीन स्थितियों में लचीलापन, और भारतीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक परंपरा के प्रति सम्मान। ये कारण यह स्पष्ट करते हैं कि 2024 के चुनावों में बैलट पेपर का उपयोग क्यों आवश्यक है।
1. पारदर्शिता और विश्वसनीयता
बैलट पेपर का उपयोग चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को महान रूप से बढ़ाता है।
बैलट पेपर का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ती है। इसका मुख्य लाभ यह है कि यह चुनावी प्रक्रिया को सरल और सीधा बनाता है, जिससे मतदान और मतगणना की प्रक्रिया को आसानी से समझा और परीक्षण किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की तुलना में, बैलट पेपर का प्रयोग अधिक स्पष्ट और सीधा होता है। वैसे भी, देशभर में ईवीएम की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं।
जब मतदाता बैलट पेपर पर अपना मत देते हैं, तो उन्हें अपने वोट की भौतिक प्रति देखने को मिलती है, जिससे उनका चुनाव प्रणाली पर विश्वास बढ़ता है, जो भारत की दीर्घकालीन समृद्धि के अति आवश्यक तत्व है। इससे आम जनता यह समझ पाती है कि उनका मत सुरक्षित और सही तरीके से दर्ज किया गया है।
इस प्रकार, बैलट पेपर से न केवल चुनाव की पारदर्शिता बढ़ती है, बल्कि मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया के प्रति विश्वास और लोकतंत्र में आस्था भी मजबूत होती है। इसलिए, बैलट पेपर का उपयोग चुनावों को और अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाता है।
ईवीएम की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, ऐसे में ईवीएम प्रणाली को लगातार अपनाते चले जाने से आम लोगों में लोकतंत्र की प्रक्रियाओं के प्रति विद्रोह उत्पन्न हो सकता है। – रुसेन कुमार
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2. तकनीकी गड़बड़ियों से सुरक्षा
बैलट पेपर में किसी प्रकार की तकनीकी खराबी जैसी संभावना नहीं रहती।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVMs) में तकनीकी खराबियों या हैकिंग की संभावनाएँ हमेशा रहती हैं, जिनके कारणों इनकी विश्वसनीयता खंडित रहती है। बैलट पेपर का उपयोग करने से इन संभावनाओं को न्यूनतम किया जा सकता है। भौतिक मतपत्र की गणना में, कोई भी बाहरी हस्तक्षेप या सॉफ्टवेयर संबंधित मुद्दे नहीं होते, जिससे चुनाव की विश्वसनीयता बढ़ती है, इसमें किसी को संदेह नहीं है।
बैलट पेपर, जो एक भौतिक मतपत्र होता है, उसमें किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप या सॉफ्टवेयर संबंधित खामियों का खतरा नहीं होता। इससे मतदान और मतगणना की प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप की संभावना न्यूनतम हो जाती है। बैलट पेपर से चुनावी प्रक्रिया सरल और स्पष्ट हो जाती है, जिससे मतदाताओं और चुनावी प्रणाली के अन्य प्रतिभागियों का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ता है।
इस प्रकार, बैलट पेपर का उपयोग करने से चुनावों में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है, जो कि नई पीढ़ी के मन में लोकतंत्र में आस्था बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे चुनावी प्रक्रिया को और अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित बनाया जा सकता है।
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3. व्यापक सुलभता
बैलट पेपर की सादगी और सीधापन चुनावी प्रक्रिया को और अधिक समझदार, प्रामाणिक और सुलभ बनाती है।
भारत की विविध आबादी में, कई मतदाता तकनीकी उपकरणों के प्रति सहज नहीं होते। बैलट पेपर की सादगी और सहजता से सभी वर्गों के मतदाताओं के लिए मतदान करना आसान हो जाता है। यह विशेष रूप से बुजुर्गों, ग्रामीण आबादी और कम शिक्षित व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत, अपनी विविधता और व्यापक आबादी के साथ, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों के लोगों का आश्रय स्थल है। इनमें से कई लोग, विशेषकर बुजुर्ग, ग्रामीण आबादी, और कम शिक्षित व्यक्ति, तकनीकी उपकरणों के प्रति अपरिचित या असहज होते हैं। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVMs) जैसी तकनीकी प्रक्रियाएं इन वर्गों के लिए भ्रमित करने वाली हो सकती हैं।
भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है – चुनावी प्रक्रियाओं में धांधली। ईवीएम से मतों की गणना, रखरखाव, सुरक्षा, बिजली, तकनीकी खराबी, डाटा की रिकवरी आदि की आशंका हमेशा बनी रहती है।
बैलट पेपर की सादगी और सीधापन इसे सभी वर्गों के मतदाताओं के लिए सुलभ और स्वीकार्य बनाता है। इस सर्वमान्य प्रक्रिया का उपयोग करना आसान होता है, और इसमें व्यक्ति को केवल अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम या चिन्ह के सामने चिह्न लगाना होता है। यह प्रक्रिया तकनीकी ज्ञान के बिना भी समझी जा सकती है, जिससे यह बुजुर्गों, ग्रामीण नागरिकों और कम शिक्षित व्यक्तियों के लिए अत्यंत उपयोगी बन जाता है। बैलट पेपर का उपयोग इन वर्गों को न केवल अपना मत देने में सक्षम बनाता है, बल्कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने का आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।
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4. आपातकालीन स्थितियों में अनुकूलता
भौतिक मत पत्र (बैलट पेपर) प्रक्रिया चुनावी धांधलियों की संभावना को कम करती है।
प्राकृतिक आपदाएं या अन्य आपातकालीन स्थितियों में, बिजली और तकनीकी सहायता की कमी हो सकती है। ऐसे में, बैलट पेपर का उपयोग अधिक व्यावहारिक और लचीला सिद्ध होता है।
प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूकंप या अन्य आपातकालीन स्थितियाँ जैसे युद्ध की स्थिति में, सामान्य जीवन और व्यवस्थाएँ अक्सर अस्त-व्यस्त हो जाती हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में, बिजली और तकनीकी सहायता की उपलब्धता में कमी आना आम बात होती है। इन जटिलताओं में, चुनाव कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) का उपयोग करने में बिजली और तकनीकी सहायता की आवश्यकता होती है, जो ऐसी आपात स्थितियों में अक्सर उपलब्ध नहीं होती। इसके विपरीत, बैलट पेपर का उपयोग ऐसी स्थितियों में अधिक व्यावहारिक और लचीला होता है। बैलट पेपर के लिए न तो बिजली की आवश्यकता होती है और न ही किसी विशेष तकनीकी सेटअप की। इसे कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में, बिना किसी विशेष उपकरण के इस्तेमाल से आसानी से संचालित किया जा सकता है।
बैलट पेपर का उपयोग करने से चुनाव प्रक्रिया में लचीलापन आता है, जिससे आपदा की स्थिति में भी चुनाव को सुचारु रूप से संचालित करना संभव हो जाता है।
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5. ऐतिहासिक संदर्भ और स्वीकार्यता
बैलट पेपर से चुनाव अधिक विश्वसनीय है, यह स्वस्थ्य लोकतंत्र के निर्माण में महान योगदान करता है।
भारतीय चुनावों में दशकों तक बैलट पेपर का इस्तेमाल एक दीर्घकालीन परंपरा रही है, जो लोकतंत्र के निर्माण और विकास का अभिन्न अंग सिद्ध होता हुआ आया है। इसके चलते, यह न केवल एक प्रामाणिक और सिद्ध तरीका है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की ऐतिहासिक संस्कृति का भी एक अभिन्न हिस्सा हो गया था।
बैलट पेपर का प्रयोग चुनावों में पारदर्शिता, सरलता और निष्पक्षता का प्रतीक है। यह सभी मतदाताओं को समान अधिकार प्रदान करता है, चाहे उनकी तकनीकी जानकारी कितनी भी हो।
बैलट पेपर का उपयोग सरलता और समझदारी को बढ़ाता है। इससे मतदान प्रक्रिया में हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित होती है। इसके अलावा, बैलट पेपर से चुनाव तकनीकी खराबियों और छेड़छाड़ जैसी गंभीर आपराधिक संभावनाओं को भी कम करता है। बैलट पेपर से आपात स्थितियों में भी चुनाव कराना संभव होता है, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं या बिजली की कमी।
सार बातेंः
बैलट पेपर का पुन: उपयोग करना 2024 के लोकसभा चुनावों में न केवल ऐतिहासिक कदम होगा, बल्कि यह एक व्यावहारिक, सुरक्षित, और सुलभ चुनावी प्रणाली की ओर भी एक कदम होगा। इससे भारत के सभी लोगों के मन में लोकतंत्र की मजबूती और विश्वसनीयता विकसित होगी।