Saturday, May 17, 2025
रुसेन कुमार
  • Home
  • परिचय
  • विचार शक्ति
  • जनसंपर्क
  • मीडिया
  • किताबें
  • अपडेट्स
    • समाचार
  • गैलरी
  • कार्य
  • विडियो
  • संपर्क
No Result
View All Result
  • Home
  • परिचय
  • विचार शक्ति
  • जनसंपर्क
  • मीडिया
  • किताबें
  • अपडेट्स
    • समाचार
  • गैलरी
  • कार्य
  • विडियो
  • संपर्क
No Result
View All Result
रुसेन कुमार
No Result
View All Result
Rusen Kumar Rusen Kumar Rusen Kumar
Home विचार शक्ति

मेरी दृष्टि में सेवा का अर्थ क्या है – रुसेन कुमार मिरी

सेवा करने वाला व्यक्ति वह होता है जो समाज की मांगों और आवश्यकताओं को समझता है और उन्हें पूरा करने के लिए समर्पित रहता है।

रुसेन कुमार Rusen Kumar by रुसेन कुमार Rusen Kumar
November 2, 2023
in विचार शक्ति
Reading Time: 2 mins read
मेरी दृष्टि में सेवा का अर्थ क्या है – रुसेन कुमार मिरी

समाज सदैव से है- समाज हमारे लिए नहीं है, बल्कि हम समाज के लिए हैं- ऐसी भावना ही सेवा है और ऐसी भावना को धारण करने वाला सेवक है।

दुनिया में तीन प्रकार के प्रकल्प हैं। पहला भक्ति, दूसरा ज्ञान तथा तीसरा कर्म। किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति के पीछे इनमें से किसी एक ही प्रधानता अवश्य रहती है। भक्ति और ज्ञान सेवा की ऊँची अवस्था है लेकिन यह सहज उपलब्ध नहीं है – इनके लिए बड़ा श्रम करना पड़ता है। इनकी तुलना में सेवा की सहज उपलब्धता है। सेवा का दूसरा नाम कर्मयोग है। कर्मयोग का दूसरा नाम ‘सेवा’ है।

यहाँ पर मैं ‘सेवा‘ (Service) के बारे में अपने विचार रखने जा रहा हूँ। आज के समय अपना और लोगों का उत्थान करने का सबसे सुलभ साधन है सेवा। सेवा को एक महान अवसर भी कहूँगा। सेवा का असर जल्दी होता है । किसी बीमार ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचा देने में उसकी महान सेवा हो जाती है। ज्ञान आएगा तो सेवा करेंगे ऐसा नहीं हो सकता। सेवा में ज्ञान तत्व (Knowledge) निहित रहता ही है।

सेवा सुख

सेवा में सुख (Happiness) पहुँचाने की भावना रहती है। यही ज्ञान की सर्वोच्च अवस्था होती है। सेवा की भावना तभी आएगी, जब अहंकार को महत्व नहीं मिलेगा। अहंकार कम होते ही सेवा की भावना का उदय हो जाता है। जितना अहंकार कम रहेगा, सेवा उतना ज्यादा असर करेगी। सेवा के लिए अहंकार ही बाधक तत्व है। अहंकार (Ego) टिकाऊ नहीं है, सेवा चीर स्थायी (Permanent) है ।

आप चाहे जो भी कार्य कीजिए, लेकिन भीतर में यह भाव रखना ही चाहिए कि मैं केवल एक सेवक ही हूँ। प्रत्येक व्यक्ति को सेवा का अवसर नहीं मिलता, सेवा का अवसर दुर्लभ है। सेवा में सुख पहुँचाने का भाव प्रधान रहता है। सेवा में रक्षा हो जाए, ऐसा भाव रहता है।

सेवा – स्वाभाविक गुण

मेरा जीवन किसी काम आ जाय, ऐसी भावना निहित रहती है। सेवा प्रत्येक जीव का प्राकृतिक (Natural) गुण है। जब आप गहराई से देखेंगे तो यह पाएँगे कि पशु, पक्षी, पेड़-पौधे केवल सेवा ही कर रहे हैं। जो भी जीवित है, निर्जीव है, सब एक दूसरे की सेवा में लगे हैं। अतः जीव, सजीव, निर्जीव प्रत्येक वंदनीय और आदरणीय हैं।

सेवा से जितना ज्यादा प्रभाव पड़ता है, उतना शीघ्र प्रभाव ज्ञान से नहीं पड़ता। सेवा त्वरित फल देता है, जबकि ज्ञान (Knowledge) दीर्घकालीन निवेश है।

मनुष्य का मूलभूत स्वभाव सेवा करना ही है। चाहे कोई भी मनुष्य हो, हर क्षण केवल सेवा ही कर रहा है। व्यक्ति द्वारा की जा रही सेवा इतनी मूल्यवान है कि उसके बदले में उसका कोई भी मूल्य चुकाना बहुत छोटी बात होगी।

हमें जो कुछ भी मिला है वह सब अपने समाज से ही मिला है। इसलिए हमें समाज की सेवा ही करनी है। सेवा के द्वारा ही समाज को समृद्ध किया जाता है। किसी को हानि नहीं पहुँचाना भी महान सेवा है। बुराई में योगदान नहीं करना भी बड़ी भारी सेवा है।

अभ्यास से सेवा

सेवा को अभ्यास (Practice) द्वारा अपनी जीवन में उतारा जा सकता है। कर्मयोग के साधक को “मैं सेवक हूँ” – ऐसा भाव अंतस में लाना चाहिए। “मैं सेवक हूँ” – इस अहंता से एक बात जन्म (Evolve) लेगी कि मेरा काम सेवा करना है, कुछ पाने की चाहत मेरा काम नहीं है। जो लोग भी पाने की चाहत में कर्म करते हैं – उसमें निजी स्वार्थ का प्रभाव रहता है।

सेवा करना है – इसका अर्थ है – योगदान (Contribution) देना है, दाता होने का भाव रहता है। सेवा करके कुछ प्राप्त करना है – यह भाव दासता का है, भिखारीपन है। कुछ नहीं चाहना ही बादशाहत है। सेवक बादशाह होता है।

लेने की चाह का विराम

सेवक के लिए, सेवा करने के लिए सबसे खास बात, मूल्यवान (Important) बात यह है कि मुझे संसार से कुछ लेना नहीं है, मुझे स्वार्थी होने से परहेज करना चाहिए। संसार से सुख लेने की चाहत ही फंसाती है। संसार से मुझे कुछ लेना है, ऐसी भावना ही पतन कराती है।

संसार (World) से कुछ पा लेने की जितनी अधिक कामना (Desire) रहेगी, उतनी ही मात्रा में सर्वनाश होने की आशंका बनी रहती है। सार बात यह है कि जो सुख चाहता है, वह सेवक नहीं है। सेवक अतिरिक्त सुख नहीं चाहता, सेवा स्वयं में महान (Devine) सुख है।

कोई भी सेवक हो, उसे पहले से ही सुख को तिलांजलि देनी पड़ी है, देनी पड़ती है और भविष्य में देनी पड़ेगी, तभी उसका काम बनेगा। साधक काम, सेवक काम, सेवा करना, साधन करना है – सुख भोगना नहीं है। सुख भोगने में सेवा पर खलल (Disturb) पड़ता है।

सेवक व भोगी – अंतर्निहित तत्व

सेवक को किसी बात का दुःख नहीं होता। चूँकि उसकी कोई व्यक्तिगत चाहत नहीं इसलिए उसे दुःख का प्रभाव नहीं असर नहीं करता। भोगी को दुःख पाना ही पड़ता है – यह सिद्धांत की बात है। सेवक का सुख दिनों-दिन बढ़ता ही जाता है। सेवक निरोगी होता है। भोग का रोग सबसे बड़ा रोग है । भोगी सब कुछ, सब संसाधन होने के बावजूद भी रोगी ही रहता है।

जब व्यक्ति के भीतर सेवा का भाव आ जाता है, प्रगाढ़ हो जाता है, रोम-रोम में फैल जाता है, तो उसका प्रत्येक कर्म सेवा में रूपान्तरित (Transform) हो जाता है। चाहे कुछ भी करे, सेवा बन जाती है। बुरा होता हुआ दिखने-प्रतीत होने पर भी उसका परिणाम (Result) भलाई वाला ही होता है।

सेवा की योग्यता

सेवक (Servant) होने के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं है, सेवक होने के लिए सेवा की भावना बस प्रगाढ़ होनी चाहिए।

मैं ऐसा मनुष्य हूँ, मैं अमुक जाति का हूँ, मैं पढ़ा-लिखा हूँ, निरक्षर हूँ, यह बात सेवा में महान बाधक हैं। मैं सेवक हूँ – इसमें भाव शरीर की प्रधानता होने से निरंतर सेवा होते रहती है।

सामाजिक सेवा (Social Service), राजनीतिक सेवा (Political Service), आर्थिक सेवा (Economic Service)– सभी प्रकार की सेवा से लोगों को सुख ही पहुँचता है। सबसे बड़ी सेवा है लोगों के मन की सेवा। मनुष्य केवल अपने विचारों (Thought), यादों (Memory) और भावनाओं (Emotion) का संग्रह (Collection) मात्र ही तो है। अतः मानसिक सेवा अधिक चीर स्थायी है। सबसे बड़ी शक्ति है – विचारशक्ति (Power of Thoughts)।

संतों की वाणी है – कर्मयोगी स्थूल, सूक्ष्म और कारण – तीनों शरीरों की सेवा करता है। सेवा दो प्रकार की हो सकती है – भीतर से बाहर की ओर और बाहर से भीतर की ओर। भीतर से बाहर की ओर सेवा करना थोड़ा कठिन काम है लेकिन बाहर से भीतर की ओर सेवा करना सरल और सुलभ है।

ग्रंथों में वर्णन मिलता है – “जो व्यक्ति भोग ही भोगता रहे, सुख भी भोगता रहे, लोभ भी करता रहे, ऐश-आराम भी करता रहे, उसका कोई भी योग सिद्ध नहीं होता।“

सेवा का आव्हान

अतः भाईयों और बहनों, आओ हम सब मिलकर जन-जन (People), समाज (Society) और राष्ट्र (Country) की सेवा के लिए एक जुट हो जाएँ। इसी में ही हम सबकी भलाई (Welfare) है, कल्याण है, उत्थान (Upliftment) है।

सार बातें

समाज हमारे जीवन (Life) का महत्वपूर्ण हिस्सा (Part) है और हम उसके सदैव साथ चलने वाले अंश हैं। यदि हम समाज (Society) को सफल और सुखमय बनाना चाहते हैं, तो हमें समाज के लिए अपनी सेवाओं का समर्पण (Devotion) करना होता है। सेवा का अर्थ यह नहीं है कि हम खुद को उपेक्षित कर दें, बल्कि यह है कि हम अपने कृत्यों और विचारों के माध्यम से समाज को उन्नत बनाने में सहयोग करें।

सेवा करने वाला व्यक्ति वह होता है जो समाज की मांगों (Desires) और आवश्यकताओं (Needs) को समझता है और उन्हें पूरा करने के लिए समर्पित रहता है। इस भावना के साथ हम सच्चे सेवक (True Servant) बन सकते हैं और समाज में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।

जय छत्तीसगढ़ ! जय जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र !

रुसेन कुमार से नियमित सम्पर्क में रहने के लिए WhatsApp चैनल को फालो कीजिए।
Tags: Janjgir-Champa Lok Sabha ConstituencyRusen Kumarजांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्ररुसेन कुमार मिरीसेवा का अर्थ
ShareTweetPin
रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार, अग्रणी पत्रकार, कवि, लेखक और सामाजिक उद्यमी हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं। सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक विषयों के चिंतन पर उनके सैकड़ों आलेख और 15 पुस्तकें प्रकाशित हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं।

Related Posts

रुसेन कुमार
विचार शक्ति

“यदि तुम गरीब हो और रोज लाइब्रेरी नहीं जाते हो तो सचमुच में तुम बहुत गरीब हो” – रुसेन कुमार

November 3, 2024
मजदूर को उसकी मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दो
विचार शक्ति

मजदूर को उसकी मजदूरी उसका पसीना सूखने से पहले दे दो

October 13, 2024
विचारों में महत्वपूर्ण क्या है: प्रवाह, बदलाव और स्थिरता
विचार शक्ति

विचारों में महत्वपूर्ण क्या है: प्रवाह, बदलाव और स्थिरता

October 7, 2024
आपको चाहिए चार मित्र । रुसेन कुमार
विचार शक्ति

आपको चाहिए चार मित्र । रुसेन कुमार

October 2, 2024
पत्रकार अर्थात् सत्तासीनों और शक्तिशाली वर्ग की असली समस्या
विचार शक्ति

पत्रकार अर्थात् सत्तासीनों और शक्तिशाली वर्ग की असली समस्या

October 2, 2024
What is our nature- a fly or a bee
विचार शक्ति

हमारा स्वभाव कैसा है – मक्खी या मधुमक्खी । रुसेन कुमार

October 1, 2024
Load More
Next Post
जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र: विकास से उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है?

जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र: विकास से उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है?

Recent Posts

  • विपश्यना ध्यान आचार्य डॉ. आशिन ओत्तामाथारा (बौद्ध भिक्षु) से रुसेन कुमार से भेंट एवं वार्तालाप
  • Rusen Kumar Meets Vipassana Meditation Master Dr. Ashin Ottamathara (Buddhist Monk)
  • Rusen Kumar Congratulates Bhola Ram Sinha for Receiving the ‘Journalism Award’ in Chhattisgarh
  • भोलाराम सिन्हा को “चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार” मिलने पर रुसेन कुमार ने बधाई दी
  • Rusen Kumar Meets Senior Social Worker Kanhaiya Lal Khobragade in Rajnandgaon
Rusen Kumar

Rusen Kumar

रुसेन कुमार प्रतिभाशाली पत्रकार, लेखक एवं सामाजिक उद्यमी हैं।

नियमित सम्पर्क में रहने के लिए WhatsApp चैनल को फालो कीजिए।

  • About us
  • Contact
  • टीम

Copyright © 2024 - Rusen Kumar | All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • परिचय
  • विचार शक्ति
  • जनसंपर्क
  • मीडिया
  • किताबें
  • अपडेट्स
    • समाचार
  • गैलरी
  • कार्य
  • विडियो
  • संपर्क

Copyright © 2024 - Rusen Kumar | All Rights Reserved