बलौदाबाजार मामले में सतनामी समाज को न्याय न मिलने की स्थिति और 180 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी ने समाज के भीतर भय और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है।
रुसेन कुमार द्वारा
रायपुर (छत्तीसगढ़)। सतनामी समाज छत्तीसगढ़ के मूल प्रमुख और महत्वपूर्ण समाज में से एक है। छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में इस समाज का योगदान लगभग 13 प्रतिशत है। यह समाज लंबे समय से सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करता रहा है। हाल के घटनाक्रमों में, बलौदाबाजार में हुई घटनाओं और सतनामी समाज के महत्वपूर्ण नेताओं की गिरफ्तारी ने समाज के भीतर एक गहरी चिंता और भय का वातावरण पैदा कर दिया है। समाज के 180 से अधिक महत्वपूर्ण लोगों की गिरफ्तारी हुई और उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में आरोप लगे हैं। इन्हें न तो सही न्याय मिल पाया है और न ही प्रशासन ने उनकी परेशानियों को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया है। ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है जो न केवल समाज के भीतर गुस्से और असंतोष को बढ़ा रही है, बल्कि समाज के लोगों में शासन-प्रशासन और न्याय व्यवस्था से विश्वास उठता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की राजधानी रायपुर से 80 किमोटर दूर बलौदाबाजार में 10 जून 2024 सोमवार अनियंत्रित भीड़ द्वारा कलेक्टर कार्यालय को घेर लिया गया था और आगजनी की घटना हुई थी।
बलौदाबाजार मामला: सतनामी समाज की न्याय की मांग
बलौदाबाजार की घटना, जिसमें गिरौदपुरी स्थित सतनामी समाज के लिए पवित्र जैतखाम को अनजान लोगों द्वारा दुर्भावनापूर्ण ढंग से काटे जाने की खबर सामने आई थी और उस घटना ने समाज में गहरी आक्रोश और दुःख का माहौल पैदा किया था। सतनामी समाज के लोग मानते हैं कि जैतखाम उनके समाज के लिए एक धार्मिक प्रतीक है, और इसे नुकसान पहुंचाने का मामला समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान है। इसके बावजूद, इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ न तो कड़ी कार्रवाई की गई और न ही अभी तक न्याय की उम्मीदें पूरी हुईं।
सतनामी समाज के लोग इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता और उदासीनता से आज पर्यन्त आहत हैं। यह मामला सिर्फ एक धार्मिक स्थल पर हुए अपमान का नहीं है, बल्कि एक पूरे समाज की गरिमा और सम्मान की लड़ाई का आधार बन गया है। समाज के 180 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और प्रमुख नेताओं को जेल भेजे जाने के बाद, न्याय की प्रक्रिया में देरी से समाज के भीतर भय और अविश्वास की भावना और बढ़ गई है। व्यापक पैमाने पर लगातार हुई गिरफ्तारियों से बिलाईगढ़, कसडोल, बलौदाबाजार, पलारी आदि स्थानों में स्थानीय सतनामी समाज के लोगों में भय का वातावरण व्याप्त हो गया है। जिन घरों से गिरफ्तारियाँ हुई हैं, उनका परिवार के सदस्यों से बात करने पर पता चला है कि घरों में विशेषकर बच्चों का जीवन अस्तव्यस्त हो जाने की जानकारी सामने आ रही है।
कानूनी और प्रशासनिक असफलता: समाज में भय का माहौल
बलौदाबाजार में आगजनी और हिंसा की घटनाओं के बाद सतनामी समाज के कई महत्वपूर्ण लोगों को बिना पर्याप्त साक्ष्य के गिरफ्तार किया गया, समाज के लोगों द्वारा ऐसा आरोप लगातार लगाया जा रहा है। सरकार और स्थानीय प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव और युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शैलेंद्र बंजारे सहित कई प्रमुख नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, लेकिन इन मामलों में न तो उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई और न ही समय पर चालान पेश किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि समाज के बड़े हिस्से में भय और असुरक्षा का माहौल व्याप्त हो गया है और प्रशासनिक नेतृत्व और कानून व्यवस्था पर आस्था और विश्वास कमजोर होता नजर आ रहा है।
सतनामी समाज के लोगों का आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस और प्रशासन द्वारा निष्पक्षता के सिद्धांत का पालन नहीं किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और ठेकेदारों की भूमिका संदिग्ध होने के बावजूद, उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिनके कारण से स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके विपरीत, सतनामी समाज के लोगों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर फर्जी एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल में भेज दिया गया, जिससे भाजपा के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति विश्वास उठता जा रहा है।
सतनामी समाज की समस्याओं का निराकरण सुलझने के बजाय उलझते जा रहा है।
राजनीतिक रंग और प्रशासन का दुरुपयोग
इस मामले को लेकर यह भी सवाल उठ रहे हैं कि प्रशासन ने सत्ता में मौजूद नेताओं के इशारे पर काम किया है। राज्य में कांग्रेस का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) समर्थित लोगों को बचाने और सतनामी समाज के नेताओं को निशाना बनाने के लिए प्रशासन का दुरुपयोग किया गया है। यह मुद्दा अब सिर्फ कानून और व्यवस्था का नहीं रहा, बल्कि एक राजनीतिक विवाद में तब्दील हो गया है, जहाँ हर मसले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
कांग्रेस द्वारा निष्पक्ष जांच की माँग
कांग्रेस के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर इस मुद्दे पर निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि निर्दोषों को तत्काल रिहा किया जाए। कांग्रेस की मांग है कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि सतनामी समाज को न्याय मिल सके और छत्तीसगढ़ के मूल निवासी समाज भय मुक्त जीवन जी सके। साथ ही, CBI जांच की भी मांग की गई है, ताकि इस पूरे प्रकरण की सच्चाई और कोई गंभीर बात हो तो सामने आ सके।
सतनामी समाज की न्याय की उम्मीद: भविष्य की चुनौतियाँ
सतनामी समाज को न्याय का इंतजार है। एक तरफ समाज के लोगों पर झूठे आरोपों के तहत दबाव बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे समाज के भीतर गुस्सा और असंतोष बढ़ रहा है। समाज के लोगों को इस बात का डर है कि अगर समय पर न्याय नहीं मिला, तो समाज के भविष्य और बच्चों की शिक्षा और सरकार के प्रति नजरिये आदि पर इस घटनाक्रम तथा इससे उपजी संताप का समाज और प्रदेश पर प्रतिकूल सामाजिक प्रभाव पड़ सकता है।
भविष्य में, अगर इस मामले में उचित न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाती है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है, तो यह समाज में विश्वास बहाल कर सकती है। ऐसा न होने पर यह आशंका बनी रह सकती है कि समाज के भीतर असुरक्षा, डर और गुस्सा और भी गहरा हो सकता है। सतनामी समाज के लोग अब केवल न्याय की मांग कर रहे हैं, निःशर्त रिहाई की माँग कर रहे हैं और यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे निष्पक्षता से काम करें और समाज में शांति और न्याय का माहौल बनाए रखें।
जानने योग्य तथ्य
छत्तीसगढ़ की राजधानी से करीब 145 किलोमीटर दूर स्थित बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी है। जहां विशाल स्तंभ ‘जैतखाम’ का निर्माण किया गया है। यह स्तंभ दिल्ली की कुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊंचा है। यह स्तंभ कई किलोमीटर दूर से ही दिखने लगता है। सफेद रंग के इस स्तंभ का वास्तुशिल्प इतना शानदार है कि दर्शकों की आंखें ठिठक जाती हैं। दिन ढलते ही दूधिया रोशनी में जैतखाम की भव्यता देखते ही बनती है। इस स्तंभ का निर्माण 2007-08 में 51.43 करोड़ रुपये की लागत से हुआ।
गिरौदपुरी के बारे में कुछ और खास बातें:
- यह छत्तीसगढ़ के सबसे सम्मानित और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।
- यह सतनामी पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास का जन्म स्थली है।
- यहां साल मार्च में विशाल मेला लगता है, जहाँ लाखों अनुयायी आते हैं।
- इस मेले को गुरु दर्शन मेला भी कहते हैं।
- इस मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में सतनामी पंथ के अनुयायी आते हैं।
- इस जगह पर प्राकृतिक सौंदर्य छातापहाड़ आदि अत्यंत दर्शनीय स्थल हैं।
कापीराइट – रुसेनकुमार