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Home विचार शक्ति

हमारा स्वभाव कैसा है – मक्खी या मधुमक्खी । रुसेन कुमार

जिस तरह मधुमक्खी के बिना शहद की प्राप्ति संभव नहीं है, उसी प्रकार समाज में मधुमक्खी स्वभाव वाले लोगों के बिना सृजन और अच्छाई की मिठास का अभाव हो जाएगा। हमें भी मधुमक्खी की तरह जीवन में सद्गुणों को अपनाकर समाज में मिठास और सकारात्मकता फैलाने का प्रयास करना चाहिए।

रुसेन कुमार Rusen Kumar by रुसेन कुमार Rusen Kumar
October 1, 2024
in विचार शक्ति
Reading Time: 1 min read
What is our nature- a fly or a bee

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प्रकृति में कुछ प्राणी अपने गुणों और स्वभाव से हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं। मक्खी और मधुमक्खी इन प्राणियों में विशेष रूप से अद्वितीय हैं। जहाँ मक्खी बुराई और गंदगी का प्रतीक मानी जाती है, वहीं मधुमक्खी अच्छाई और सृजन का प्रतीक होती है।

रुसेन कुमार द्वारा

हमारी प्रकृति में दो किस्म के कीड़े बहुत अनोखे हैं। उनमें एक है मक्खी और दूसरा मधुमक्खी। मक्खी को देखना घिनौना लगता है। उनकी भिनभिनाहट बड़ी चिढ़ पैदा करती है। वह गंदी जगह पर बैठती है। जहाँ अधिक गंदगी होगी वहाँ उड़कर चली जाती है। वह गंदगी को एक से दूसरी जगह पर फैला देती है। मक्खी जितनी बार जहाँ-जहाँ बैठती वहीं विष्टा करती है। मक्खी कई तरह की बीमारी फैलाती है। मक्खी हर कहीं पाई जाती हैं। मधुमक्खी खुले में घूमते रहती है। मक्खी का स्वभाव बुराई का होता है। वह केवल बुराई से संबंध रखती है। यह जीव दुर्गुणी और विनाशकारी स्वभाव वाला है।

मधुमक्खी: सृजन और अच्छाई की प्रतीक

इसके विपरीत स्वभाव वाला एक प्राणी है मधुमक्खी। मधुमक्खी कई बीज या फूल से के रस को इकट्ठा करके शहद बनाती है। यह जीव वनस्पतियों के सार तत्वों को ग्रहण करता है। मधुमक्खियाँ संघ बनाकर रहती हैं। ये शांत स्वभाव वाले जीव हैं। इस जीव को प्रकृति के अनेक गुप्त रहस्यों के बारे में पता है। उनकी जीवन पद्धति शुद्ध और परोपकारी है। मधुमक्खी विशिष्ट, उन्नत एवं अनुकूल स्थानों में ही पाई जाती है। शहद से अनेक बीमारियों का इलाज होता है। मीठे गुणकारी शहद का सेवन पौष्टिक होता है। मधुमक्खी का स्वभाव अच्छाई का होता है। वह केवल अच्छाई से ही अपना सम्बन्ध रखती है। यह जीव चतुर एवं वैज्ञानिक समझ रखने वाला होता है। यह कीट जहाँ कहीं भी हो केवल और केवल सुंदर फूलों पर ही बैठती है।

मक्खी स्वभाव वाले लोग

ऐसे ही लोग भी दो स्वभाव वाले होते हैं। मक्खी स्वभाव वाले मनुष्य और मधुमक्खी स्वभाव वाले मनुष्य है। मक्खी स्वभाव वाले मनुष्य की दिलचस्पी बुराइयों में होती है। इस स्वभाव का मनुष्य जहाँ भी बुराइयाँ दिखे वहाँ पहुँच जाता है। वहाँ से गंदी विचारधारा लेकर उसे जगह-जगह रोग की तरह फैलाते रहता है। इस तरह के मनुष्य बहुतायत में पाए जाते हैं। मक्खी स्वभाव वाले मनुष्य समाज के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होते हैं। उनकी मंशा हानि पहुँचाने वाली होती है और जिनके साथ बैठते हैं उसमें घाव कर देते, उसमें बीमारी के कीटाणु छोड़ आते हैं। निंदा, बुराई, कुटिलता आदि मक्खी स्वभाव वाले मनुष्य में रहता ही है।

मधुमक्खी का जीवन शांत, व्यवस्थित और समाजोपयोगी होता है। वह अच्छाई का प्रतीक है और केवल सद्गुणों से ही संबंध रखती है। – रुसेन कुमार

विशिष्ट स्वभाव

इसके विपरीत होता है मधुमक्खी स्वभाव वाला मनुष्य। मधुमक्खी स्वभाव वाले मनुष्य खुले में नहीं बल्कि विशिष्ट स्थानों में ही पाए जाते हैं। वे अत्यधिक जरूरत पड़ने पर ही बाहर आते हैं और शेष समय किसी अच्छे काम ही लगे रहते हैं। वे जहाँ भी रहते हैं वैज्ञानिक विचारधारा ही रखते हैं तथा लोगों से शहद रूपी अच्छाई ही ग्रहण करते हैं। वे केवल और केवल फूलों के रस की भाँति सद्गुणों को ही अपनाते हैं और उसी का ही व्यवहार करते हैं। ऐसे मनुष्य समाज और प्रकृति की विविधता का सम्मान करते हैं लेकिन बुराइयों से हरसंभव परहेज करते हैं। इस स्वभाव वाले मनुष्य केवल रचनात्मक कार्य ही करते हैं और अपने स्वभाव से जरा भी विचलित नहीं होते। कोई कितना भी हानि पहुँचाये वे अपने हुनर को नहीं भूलते। वे अपने लिए अच्छे वातावरण का निर्माण करके ही दम लेते हैं।

आज समाज को मधुमक्खी स्वभाव वाले लोगों की सख्त आवश्यकता है। ऐसे लोग समाज में सहयोग, सृजन और सद्भावना का वातावरण तैयार करते हैं। – रुसेन कुमार

आज हमारे समाज को मधुमक्खी स्वभाव वाले मनुष्यों की आवश्यकता है। ऐसे लोग जितने अधिक होंगे उन जगहों का सामाजिक वातावरण अच्छा हो जायेगा। मधुमक्खी स्वभाव वाले लोग अपने काम से मतलब रखते हैं और किसी भी तरह के विनाशकारी कार्यों में लिप्त नहीं होते। इस तरह के लोगों में एक दूसरे को सहयोग करने की भावना होती है। वे हर समय सृजन के कार्य में लगे रहते हैं। इस तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति के कार्य अत्यंत समाजोपयोगी होते हैं। आज समाज को केवल अच्छाई के मार्ग पर ही चलने वाले लोगों की जरूरत है। 

जिस तरह मधुमक्खी को हानि पहुँचाने से शहद की उपलब्धता प्रभावित हो जाएगी, उसी प्रकार मधुमक्खी स्वभाव वाले लोगों की कमी से समाज में अच्छाई और सद्भाव का अभाव हो जाएगा। मधुमक्खी स्वभाव वाले मनुष्य जब भी कोई काम करेगा उसके परिणाम में मिठास ही पैदा होगी। मधुमक्खी की भाँति हम भी अपने जीवन में गुणों का संग्रह करके समाज में नई मिठास घोलने का प्रयत्न करें।

कापीराइट – रुसेन कुमार

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Source: रुसेन कुमार
Via: रुसेन कुमार
Tags: Rusen Kumarमक्खी या मधुमक्खीरुसेन कुमारहमारा स्वभाव कैसा है
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रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार, अग्रणी पत्रकार, कवि, लेखक और सामाजिक उद्यमी हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं। सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक विषयों के चिंतन पर उनके सैकड़ों आलेख और 15 पुस्तकें प्रकाशित हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं।

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