“पलायन कोई अच्छी बात नहीं है यह गरीबी और सामाजिक विषमता बढ़ती है।” – रुसेन कुमार मिरी
जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोगों का वर्षों से पलायन होता आ रहा है। छत्तीसगढ़िया लोगों का पलायन जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र के लिए कलंक की भांति है। इस बड़ी विडम्बना की बात और क्या हो सकती है कि जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र जो कि अनुसूचित जाति के लोगों के राजनैतिक रूप से आरक्षित है, वहाँ से केवल अनुसूचित जाति के लोग ही पलायन करते हैं। इस गंभीर समस्या और इस समस्या के पीछे के दर्द को समझना होगा और समाधान तलाशने की जरूरत है।
अस्मिता पर प्रश्न
पलायन की बढ़ती स्थिति न केवल क्षेत्र के विकास के लिए चिंताजनक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर कितने सीमित हैं। प्रमुख राजनीतिक नेता, रुसेन कुमार मिरी ने इस मुद्दे को जनता के बीच उठाते हुए कहा कि इस समस्या को और अधिक समय तक टाला नहीं जाना चाहिए, अन्यथा यहां के स्थानीय लोगों की अस्मिता पर कुठाराघात होगा और इसके दूरगामी परिणाम बहुत निराशाजनक हो सकते हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की खराब स्थिति
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की खराब स्थिति के कारण स्थानीय लोग पलायन करते हैं। पलायन करने वालों में कुछ समुदाय विशेष जैसे सतनामी के लोगों की प्रमुखता रहती है। पलायन न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी एक बड़ी समस्या है। यह दर्शाता है कि हमारे क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं और लोगों को अपनी आजीविका के लिए अन्य स्थानों पर जाना पड़ रहा है। इससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है।
छत्तीसगढ़िया लोग ही पलायन करते हैं
रुसेन कुमार मिरी ने कहा कि वही लोग ही पलायन करते हैं जो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी और छत्तीसगढ़िया हैं। पलायन का रोग लगभग 50 वर्ष पुराना है। यहाँ के लोग जम्मूकश्मीर, दिल्ली, उत्तरप्रदेश के शहरों में जाकर मेहनत-मजदूरी करते रहे हैं। किसी समय ऐसी भी स्थिति कि पूरे गाँव के लोग एक साथ पलायन कर जाते थे। रुसेन कुमार ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी धरती से दूर नहीं जाना चाहता, लेकिन मजबूरी ऐसा करा देती है। घर के मुखिया अपने बीवी-बच्चों और असक्त मां-बाप को छोड़कर कई-कई महीने बाहर रहते हैं, जिनके कारण उनकी पढ़ाई-लिखाई, लालन-पालन समुचित ढंग से नहीं हो पाता। इससे सामाजिक विषमता बढ़ती और समाज में निराशा बढ़ती है।
“पलायन से लोग दर-दर भटकने पर मजबूर होते हैं, इससे निराशा बढ़ती और आत्मसम्मान खो बैठते हैं।” – रुसेन कुमार मिरी
पलायन के कारण और प्रभाव
रुसेन कुमार मिरी का कहना है कि पलायन के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि रोजगार की कमी, शिक्षा की अनुपलब्धता, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, सामाजिक जागरूकता का अभाव आदि। यह समस्या न केवल व्यक्तियों के जीवन पर, बल्कि पूरे समाज पर भी प्रभाव डालती है। पलायन से क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना में बदलाव होता है, सामाजिक संरचना में विघटन होता है और स्थानीय समुदाय के सांस्कृतिक पहचान को खतरा पहुँचता है।
“मुझे जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से पलायन का कलंक मिटाना है, इसके लिए जनता को जागरूक करूँगा”- रुसेन कुमार मिरी
समाधान की दिशा में कदम
सामाजिक विषयों के विशेषज्ञ रुसेन कुमार ने समाधान के तौर पर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित करने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, और सामाजिक संरचना को मजबूत करने की बात कही है। जनजागरूकता बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया है। लोग अपने हकों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक रहें – इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें परामर्श और प्रशिक्षण दिया जाय।
रोजगार सृजन की आवश्यकता
रुसेन कुमार मिरी ने जोर देकर कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन से ही पलायन की समस्या का समाधान संभव है। उन्होंने कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्र में नए अवसरों की तलाश और उन्हें सृजित करने की बात कही। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि सरकार स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहित करे और छोटे व्यवसायों के लिए सहायता प्रदान करे।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
रुसेन कुमार मिरी ने जोर देकर कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करके भी पलायन की समस्या को कम किया जा सकता है। उनका विश्वास है कि अगर लोगों को अपने क्षेत्र में ही अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, तो स्वयं ही इसका समाधान खोजने लग जाएँगे। कृषि क्षेत्र में उभरते अवसरों के बारे में शिक्षा एवं जागरूकता बढ़ा कर लाखों की संख्या में श्रम और रोजगार के वैकल्पिक अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं।
पलायन करने वालों का रिकार्ड रखा जाय
रुसेन कुमार मिरी ने कहा कि जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में एक ऐसे कार्यालय की स्थापना की जानी चाहिए जहाँ पर पलायन करने वालों का रिकॉर्ड रखा जा सके। पलायन करने वालों का रिकार्ड रखने और और समय समय पर उसके पैटर्न के अध्ययन के द्वारा पलायन करने वालों की प्रवृत्ति और आवश्यकता को मापा जा सकता है। पलायन करने वालों की जानकारी रखना समाज के विभिन्न हिस्सों के बीच समानता और न्याय सुनिश्चित करने, साथ ही उनकी भलाई और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक उपेक्षा – प्रमुख कारण
राजनीतिक निष्क्रियता और स्थानीय नेताओं की उपेक्षा के कारण पलायन को बढ़ावा मिलता है। जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, लेकिन किसी भी विधायक और स्थानीय विधायक और सांसद अपने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में रुचि नहीं लेते हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में विकास से जुड़े कार्यों की कमी होती है, तो लोगों को बेहतर अवसरों की तलाश में अपने घर-बार छोड़कर पलायन करने को विवश होना पड़ता है। इस प्रकार, यह स्थानीय प्रशासन और नेताओं की जवाबदेही की कमी को दर्शाता है, जिसके कारण आम जनता में असंतोष और निराशा की भावना बढ़ रही है।
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समाधान
रुसेन कुमार मिरी ने कहा कि पलायन की समस्या का समाधान संभव है, बशर्ते कि सही दिशा में कदम उठाए जाएँ। निःसंदेह ही इसकी प्रक्रिया लंबी हो सकती है लेकिन यह असंभव कार्य भी नहीं है। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और सामाजिक संरचना को मजबूत करने से न केवल पलायन की समस्या का समाधान होगा, बल्कि इससे क्षेत्र का समग्र विकास भी संभव होगा।
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राजनीतिक जागरण यात्रा में जनता को जगाएँगे
पलायन का दर्द असहनीय हो चुका है। हमारे माथे पर जो पलायन का कलंक है उसे हमेशा के लिए मिटाना है। रुसेन कुमार मिरी ने कहा कि पलायन से जुड़े मुद्दों को जनता के बीच जोर-शोर से उठाएँगे और आने वाले दिनों में उनकी राजनीतिक जागरण यात्रा का प्रमुख विषय रहेगा।