राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़)। 7 नवंबर 2024 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में चतुर्थ राज्यस्तरीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में शिवनाथ नदी के तट पर स्थित तपोभूमि आक्सीजोन मोहारा, राजनांदगांव में हजारों बौद्ध भिक्षुओं, उपासकों और बौद्ध अनुयायियों की उपस्थिति रही। सम्मेलन की पावन भूमि पर विभिन्न देशों से आए बौद्ध अनुयायियों ने भाग लिया।
सम्मेलन के दूसरे दिन, 8 नवंबर को, राजनांदगांव के बौद्ध विहार में जाने का अवसर रुसेन कुमार को प्राप्त हुआ। यहाँ पर उन्होंने म्यांमार और वियतनाम से आए बौद्ध भिक्षुओं तथा उपासकों से मुलाकात की।
इसी अवसर पर रुसेन कुमार की मुलाकात वरिष्ठ समाजसेवी और राजनांदगांव निवासी कन्हैया लाल खोबरागड़े से हुई।
बाबा साहेब के अनुयायी, समाज सेवा में तल्लीन
कन्हैया लाल खोबरागड़े, जो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनन्य अनुयायी हैं, ने रुसेन कुमार से अपनी जीवन यात्रा साझा की। 84 वर्ष की आयु में भी अत्यंत स्वस्थ और सक्रिय दिखाई दे रहे कन्हैया लाल ने बताया कि 15 वर्ष की आयु में उन्हें बाबा साहेब का दर्शन मिला था। तब से ही वे बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित होकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। उनका जन्म 11 मार्च 1939 को राजनांदगांव में हुआ था।
उन्होंने बताया कि बाबा साहेब की जन्मतिथि 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दिलाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन के दौरान उन्होंने राजनांदगांव में रेल रोको कार्यक्रम में भाग लिया था, जिसके चलते वे एक माह तक जेल में भी रहे। बाबा साहेब की अस्थिकलश यात्रा में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जहां उन्होंने मध्यप्रदेश के 45 जिलों में अस्थिकलश को भ्रमण कराया।
अस्पृश्यता के विरुद्ध निरंतर संघर्ष
कन्हैया लाल खोबरागड़े ने बताया कि बाबा साहेब के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ कई आंदोलन चलाए। उनका मानना है कि बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर कोई भी व्यक्ति सफलता की ऊँचाइयों को छू सकता है। उन्होंने कहा, “बाबा साहेब आंबेडकर एक विशाल वृक्ष की तरह थे, जिनकी छांव में ज्ञान प्राप्त होता था। उनसे मिलने के बाद मैंने दृढ़ निश्चय किया कि मुझे उनके मिशन में अपना योगदान देना है।”
सामाजिक परिवर्तन पर चर्चा
कन्हैया लाल खोबरागड़े ने रुसेन कुमार को सामाजिक परिवर्तन से जुड़ी अनेक रोचक जानकारियाँ भी साझा कीं। दोनों के बीच सामाजिक मुद्दों और भावी योजनाओं को लेकर गहन चर्चा हुई। इस दौरान रुसेन कुमार ने उन्हें अपनी किताब ‘स्वाध्याय से शक्ति’ भेंट की, जिसे पाकर खोबरागड़े ने प्रसन्नता व्यक्त की और भविष्य के प्रयासों की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं।
(फोटो – कापीराइट रुसेनकुमार.काम)