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Rusen Kumar Rusen Kumar Rusen Kumar
Home अपडेट्स समाचार

भारतीय संविधान सब के लिए सहज रूप से उपलब्ध होना चाहिएः रुसेन कुमार

संविधान दिवस के इस शुभ अवसर पर, हमें संविधान के संस्थापक पिताओं की अनुपम सेवाओं को स्मरण करना चाहिए। संविधान केवल कानूनी आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। यह न केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा है, बल्कि इसे देश के हर हिस्से में व्यक्तियों के जीवन में गहराई से उतारा जाना चाहिए। इसके अनुपालन और संरक्षण में नागरिकों का सक्रिय हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है।

रुसेन कुमार Rusen Kumar by रुसेन कुमार Rusen Kumar
November 26, 2023
in समाचार
Reading Time: 1 min read

भारतीय संविधान के थोक मुद्रण और उसे लोगों को उपलब्ध कराने की नीति बनाए। यह एक ज्वलंत प्रश्न है कि लोग संविधान से वंचित क्यों हैं?

हमारी सरकारों को नागरिक को संविधान प्रदान करना चाहिए, ताकि हर कोई अपने दृष्टिकोण और व्यवहार को तदनुसार संरेखित कर सके। भारतीयों ने अपने संविधान के बारे में केवल सुना है कि उनके देश में एक संविधान है। संविधान को देखा और पढ़ा नहीं है, यह कहना है राजनीतिक व्यक्तित्व रुसेन कुमार का।

यह एक ज्वलंत प्रश्न है कि लोग अनेक वर्षों के बीत जाने के बाद भी संविधान से वंचित क्यों हैं? लोकतांत्रिक देश में संविधान की प्रति उपलब्ध होना प्रत्येक नागरिक की एक मूलभूत आवश्यकता है। संविधान को पढ़ना हर व्यक्ति का उत्तरदायित्व और अधिकार है। अपने नागरिकों को संविधान उपलब्ध करना सरकार की महति जिम्मेदारी है।

लोकतंत्र की उन्नति के लिए चुने हुए सरकारी कर्मचारियों और जन प्रतिनिधियों को संविधान के बारे में गहन जानकारी ग्रहण करके गहरी समझ विकसित करनी होगी तथा यह कार्य सतत रूप से होता रहे, इसके लिए सक्षम व्यवस्था विकसित करनी होगी। वर्तमान में जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों को संविधान की प्रतियाँ उपलब्ध नहीं हैं। आम जनता को संविधान की नवीनतम प्रतियाँ मिलना अत्यंत ही दुष्कर है। कितनी हास्यास्पद बात है कि सरकारी संस्थानों में भी संविधान की प्रतियाँ उपलब्ध नहीं हैं।

संविधान की नवीनतम प्रतियाँ सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे – पंचायत, पटवारी कार्यालय, थाने, तहसील कार्यलय, न्यायालय परिसर, कलेक्टोरेट परिसर, सभी सरकारी कार्यालयों के प्रतीक्षा कक्ष में उपलब्ध रहना चाहिए। सभी शिक्षण संस्थानों के मुख्यद्वार पर संविधान की कापी को प्रदर्शित करने की जरूरत है, ताकि युवा भारतीय संविधान को जब चाहे पढ़ सकें, अध्ययन कर सकें।

प्रत्येक कार्यालय में प्रतिदिन संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का सामूहिक पाठन अनिवार्य करना चाहिए। इसी प्रकार, स्कूलों की प्रार्थना सभाओं में भी मूल कर्तव्यों को पढ़ा जाना चाहिए।

आश्चर्यजनक यह है कि भारत सरकार संविधान की प्रतियाँ न तो बड़ी मात्रा में छापती है और न ही इसके बहुसंख्य प्रकाशन की कोई नीति बनाई गई है। सरकार को संविधान की प्रतियाँ व्यापक रूप से छापने और जनता को आसानी से उपलब्ध कराने की नीति विकसित करनी चाहिए। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों को संविधान के बड़े पैमाने पर प्रकाशन और इसे नागरिकों को मुफ्त में वितरित करने की नीति अपनानी चाहिए। साथ ही, सभी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार से संविधान की प्रतियाँ प्राप्त करने के लिए आवेदन भेजना चाहिए।

प्रत्येक नागरिक को यह जिम्मेदार भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। हर कोई अपने कर्तव्यों का पालन करे, अपने कार्यकलापों में सेवा भावना को वरीयता दे तो बेहतर समाज का मार्ग प्रशस्त होता है।

संविधान जीवन का एक हिस्सा होना चाहिए, न कि केवल कानूनी जरूरत के लिए। संविधान दिवस के अवसर पर संविधान के संस्थापक पिताओं के योगदान को याद किया और कहा कि संविधान केवल एक सैद्धांतिक विचार नहीं है बल्कि इसे देश के हर हिस्से में व्यक्तियों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण बनाया जाना चाहिए। संविधान के अनुपालन में नागरिकों के हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करने से यह सुनिश्चित होता है कि वे मौलिक अधिकारों का उपयोग करते समय अपने कर्तव्यों को नजरअंदाज नहीं करते। बहुसंख्य लोग अधिकारों से परिचित होते हैं लेकिन अक्सर देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। अधिकारों के साथ कर्तव्यों की चर्चा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सरकारों को चाहिए कि वे नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों पर एक विशेष जागरूकता अभियान चलाएं और सार्वजनिक स्थानों तथा संस्थानों में इन कर्तव्यों का प्रदर्शन अनिवार्य करें।

उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को भारत के संविधान को अपनाया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। भारत रत्न डॉ.  बीआर अंबेडकर संविधान के जनक हैं जिन्होंने भारतीय संविधान की रचना की।

(Copyright @ Rusen Kumar)

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Tags: भारत का संविधानभारतीय संविधानरुसेन कुमार
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रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार Rusen Kumar

रुसेन कुमार, अग्रणी पत्रकार, कवि, लेखक और सामाजिक उद्यमी हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं। सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक विषयों के चिंतन पर उनके सैकड़ों आलेख और 15 पुस्तकें प्रकाशित हैं। छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं।

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