जांजगीर-चांपा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
जांजगीर-चाम्पा, भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में एक लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है। यह अनुसूचित जातियों (एससी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। यह अतिविशिष्ट संसदीय क्षेत्र – जांजगीर-चाम्पा, सारंगढ़-बिलाईगढ़, सक्ती और बलौदाबाजार जिलों में आठ विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है।
यह निर्वाचन क्षेत्र पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंक) के बीच एक प्रमुख संघर्ष क्षेत्र रहा है, जहाँ दोनों पार्टियों ने प्रमुख नेताओं और उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
इस लेख में, हम जांजगीर-चाम्पा निर्वाचन क्षेत्र के महत्व, इसके चुनावी इतिहास और वर्तमान परिदृश्य पर नज़र डालेंगे।
चुनावी इतिहास
जांजगीर-चांपा निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना 1952 में हुई थी और इसने अब तक 17 लोकसभा चुनाव देखे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस सीट को 10 बार जीता है, जबकि भाजपा ने इसे सात बार जीता है।
इस सीट पर कुछ प्रमुख सांसद भी रहे हैं, जैसे कि मिनीमाता अगम दास गुरु, जो एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे; मनहर भगतराम, जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे; दिलीप सिंह जूदेव, जो एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक राजघराने के सदस्य थे; चरण दास महंत, जो भी एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख थे; और करुणा शुक्ला, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थीं।
इस निर्वाचन क्षेत्र ने कुछ करीबी मुकाबले और कुछ एकतरफा जीत भी देखी हैं। विजय का सबसे कम अंतर 1991 में था, जब भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव ने इंक के भवानी लाल वर्मा को केवल 1,711 वोटों से हराया था।
विजय का सबसे बड़ा अंतर 2014 में था, जब भाजपा की कमला पाटले ने कांग्रेस के प्रेम चंद जायसी को 1,74,961 वोटों से हराया था। इस निर्वाचन क्षेत्र ने कुछ उपचुनाव भी देखे हैं, जो मौजूदा सांसदों की मृत्यु या इस्तीफे के कारण हुए। सबसे हाल का उपचुनाव 1974 में हुआ था, जब मनहर भगतराम ने मिनीमाता अगम दास गुरु की मृत्यु के बाद यह सीट जीती थी।
वर्तमान परिदृश्य
जांजगीर-चाम्पा में आखिरी सामान्य चुनाव 2019 में हुआ था, जिसमें भाजपा के गुहाराम अजगल्ले ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रवि परसराम भारद्वाज को 83,255 वोटों से हराया था।
अजगल्ले ने 45.88% वोट हासिल किए, जबकि भारद्वाज को 39.21% वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार दौराम रत्नाकर ने 10.52% वोटों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया।
मतदान प्रतिशत 65.76% था, जो राज्य के औसत 64.55% से अधिक था।
जांजगीर-चांपा में वर्तमान परिदृश्य कई कारकों से प्रभावित है, जैसे कि भाजपा-नीत केंद्र सरकार और कांग्रेस-नीत राज्य सरकार का प्रदर्शन, कोविड-19 महामारी और टीकाकरण अभियान का प्रभाव, जाति और क्षेत्रीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और विकास कार्य, और अन्य पार्टियों और उम्मीदवारों की भूमिका आदि।
भाजपा समर्थित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी योजनाओं, जैसे कि उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, पीएम किसान सम्मान निधि, आदि की लोकप्रियता पर बैंक कर रही है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और उनकी पहलों, जैसे कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना, नरवा गरवा घुरवा बारी योजना, छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना, आदि पर भरोसा कर रही है। कांग्रेस पार्टी बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की परेशानी, आदि जैसे मुद्दे भी उठा रही है।
बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) एससी मतदाताओं और अन्य हाशिए के वर्गों के बीच अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों और सामाजिक समूहों के साथ गठबंधन बनाने का भी प्रयास कर रही है।
निम्नलिखित तालिका में जांजगीर-चाम्पा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के निम्न विधानसभा शामिल है, उनकी जानकारी इस प्रकार है:
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक | नाम | आरक्षित (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/सामान्य) | जिला |
---|---|---|---|
33 | अकलतरा | सामान्य | जांजगीर-चाम्पा |
34 | जांजगीर-चाम्पा | सामान्य | जांजगीर-चाम्पा |
35 | सक्ती | सामान्य | सक्ती |
36 | चंद्रपुर | सामान्य | सक्ती |
37 | जैजैपुर | सामान्य | जांजगीर-चाम्पा |
38 | पामगढ़ | अनुसूचित जाति | जांजगीर-चाम्पा |
43 | बिलाईगढ़ | अनुसूचित जाति | सारंगढ़-बिलाईगढ़ |
44 | कसडोल | सामान्य | बलौदा बाजार |
यह तालिका निर्वाचन क्षेत्रों की सूची और उनके आरक्षण स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।